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कामयानी किसकी रचना है | kamayani kiski rachna hai

आज के इस पोस्ट के माध्यम से आपको कामयानी किसकी रचना है | kamayani kiski rachna hai सवाल जवाब बताऊंगा, जिसमे आपको और भी सवालों के जवाब बताएँगे जायेंगे.

सवाल – कामयानी किसकी रचना है | kamayani kiski rachna hai

उत्तर – कामयानी जयशंकर प्रसाद जी की रचना है. कामयानी हिंदी भाषा का एक महाकाव्य में से है और यह जयशंकर प्रसाद जी की अंतिम काव्य रचना है.

कामायनी महाकाव्य की रचना 1936 में श्री जयशंकर प्रसाद ने की थी. इसमें उन्होंने मनु और श्रद्धा के बारे में बताया है और बाढ़ की घटना को ऐतिहासिक तथ्य के रूप में स्वीकार किया है. कामायनी में 15 सर्ग हैं.

जयशंकर प्रसाद की कामायनी

कामायनी हिन्दी भाषा का महाकाव्य है. इसे जयशंकर प्रसाद ने लिखा है. यह आधुनिक छायावादी युग का सबसे अच्छा और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। ‘प्रसाद’ की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई थी, लेकिन इसका प्रेम लगभग 7-8 साल पहले शुरू हो गया था.

चिंता से शुरू होकर ‘आनंद’ तक, 15 सर्गों के इस महाकाव्य में मानव मन की विभिन्न प्रवृत्तियों का क्रमिक समामेलन इस कुशलता से किया गया है कि मानव निर्माण के आरंभ से लेकर अब तक के जीवन के मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास का इतिहास भी स्पष्ट हो जाता है।

कला की दृष्टि से कामायनी को छायावादी काव्य का सर्वोत्तम प्रतीक माना जा सकता है. इस महाकाव्य की एक अन्य विशेषता कथानक के पात्रों के रूप में चित्तवृत्तियों का अवतार है. और इस दृष्टि से मानव रूप में लज्जा, सौन्दर्य, श्रद्धा और इड़ा का अवतार हिन्दी साहित्य का अनुपम खजाना है.

कामायनी प्रत्याभिज्ञ दर्शन पर आधारित है. इसके साथ ही अरविंद दर्शन और गांधी दर्शन का प्रभाव भी सर्वत्र देखने को मिलता है.

FAQ – kamayani kiski rachna hai

kamayani kiski rachna hai
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कामायनी में मनु किसका प्रतीक है?

  • कामायनी में मनु ‘मानव ‘ का प्रतिक है, इसके साथ साथ श्रद्धा और इड़ा – प्रेम व बुद्धि के प्रतीक हैं. इन प्रतीकों के माध्यम से कामायनी अमर हो गईं. क्योंकि इन प्रतीकों के माध्यम से प्रसाद जी द्वारा कामायनी में प्रस्तुत जीवन का विश्लेषण आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना प्रसाद जी के समय में होता.

कामायनी के रचयिता कौन है?

  • कामायनी के रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं. और कामायनी “जयशंकर प्रसाद” की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है. इसमें “15 कैंटोस” हैं. इसमें “श्रद्धा सरग” को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. जयशंकर प्रसाद’ की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई थी. कला की दृष्टि से कामायनी को छायावादी काव्य का सर्वोत्तम प्रतीक माना जा सकता है.

कामायनी में श्रद्धा किसका प्रतीक है

  • कामायनी की नायिका ‘श्रद्धा’ ह्रदय यानि प्रेम का प्रतीक है.

कामायनी किस युग की रचना है?

  • यह आधुनिक छायावादी युग का सबसे अच्छा और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है, ‘प्रसाद’ की यह अंतिम काव्य रचना 1936 में प्रकाशित हुई थी.

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