वेद का दूसरा नाम क्या है? – ved ka dusara naam kya hai
नमस्कार आज के इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताने वाले है कि “वेद का दूसरा नाम क्या है?” वेद सदियों पुरानी ग्रंथो में से एक मानी जाती हैं. जो भी वेद का अध्ययन करंता हैं उन्हें असीम ज्ञान की प्राप्ति होती हैं. क्योकि वेद में दुनिया भर के सभी ज्ञान की जानकारी समाहित की गयी हैं. इसलिए हम आपको आज पुरे जानकारी के साथ बताएँगे कि “ved ka dusara naam kya hai?” यदि आपको इसके बारे में जानना है तो कृपया इस पोस्ट को पूरा पढ़े.
यहाँ आपको बाता दे कि वेद को 4 अलग अलग कई नाम भी है और कई प्रकार भी है जिनके बारे में हमने निचे चर्चा किया हैं.
वेदों के उत्पति की बात करें तो इसे किसी भी मनुष्य के हाथों नही लिखा गया है क्योकि यह ईश्वर कृत मानी जाती हैं. जिस कारणवश वेदों को अपौरुषेय (अपौरुषेय) भी कहा जाता हैं.
वेद मानव जाति की उपस्थिति में सबसे पुरानी, शुरूआती और ज्ञानवर्धक पुस्तक या साहित्य में से हैं, और यह दुनिया के अद्वितीय साहित्य भी मानी जाती हैं. वेद को प्राचीन भारत के सबसे पवित्र साहित्य मानी जाती हैं जो हिन्दुओं के लिए प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं. इसे विश्व का सबसे प्राचीन साहित्य भी कहाँ जाता है. और भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं।
वेद का अर्थ क्या है? – Ved Ka Artha Kya Hota Hai
वेद का अर्थ “ज्ञान ” होता हैं. और वेद शब्द की उत्त्पति ‘विद्’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है ‘ज्ञान ‘. और ‘विद् के संस्कृत भाषा हैं जिसमे ‘विदित’ (जाना हुआ), ‘विद्या’ (ज्ञान), ‘विद्वान’ (ज्ञानी) जैसे शब्द मौजूद है. इसलिए आप वेद को ज्ञानवर्धक भी कह सकते हैं.
तो आपने समझा की वेद का अर्थ क्या है? और वेद क्या होता हैं. अब आपको बताते है कि “वेद का दूसरा नाम क्या होता है? ved ka dusara naam kya hota hai?”
वेद का दूसरा नाम क्या होता है? – ved ka dusara naam kya hai?
वेद का दूसरा नाम “श्रुति” भी होता हैं. यह एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ “सुनना” होता हैं. इसके पीछे का रहस्य ईश्वर से जुड़ा हुआ है, क्योकि वेद का लिखने वाले भगवान ब्रम्हा के द्वारा ऋषियों मुनियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित है. इसलिए “श्रुति ” को वेद का दूसरा नाम कहा गया हैं. और अन्य आर्य ग्रंथों को स्मृति कहाँ जाता है.
अब आपको बताते है की चार वेदों के नाम क्या क्या है? और इनके कौन कौन से प्रकार हैं.
वेदों के कितने प्रकार होते हैं (Type of Ved)
यह वेदों को चार भाग में विभाजित किया गया हैं. और इन सभी वेदों को महर्षि कृष्ण व्यास द्वैपाजन के द्वार संकलित किया गया हैं.
1. ऋग्वेद
2. यजुर्वेद
3. सामवेद
4. अथर्ववेद
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Q1. वेद की परिभाषा
वेद एक ऐसा पवित्र साहित्य है जिसके अध्ययन से हमें भारत के पवित्र, धर्म, जीवन की कड़ी, योग संबंधी ज्ञान, अच्छा बुरा का ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है. वेद सबसे प्राचीन हिंदू पवित्र ग्रंथ है जिसे संस्कृत में लिखा गया हैं. वेद को अपौरुषेय भी कहा जाता है क्योकि यह एक ईश्वर कृत हैं.
Q2. सबसे पुराना वेद कौन सा है?
अभी तक का सबसे पुराना वेद ऋग्वेद है, और इसमें मन्त्रों की संख्या 10527 है और सभी सभी मंत्रों के अक्षरों की संख्या 432000 है. ऋग्वेद में विभिन्न देवताओं का वर्णन और ईश्वर की स्तुति का पूरा ज्ञान समाहित हैं.
Q3. वेद कितने वर्ष पुराना है?
वेद लगभग “1960852976” (एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख बावन हज़ार नौ सौ छहत्तर) हो चुके हैं. जिसे दयानन्द सरस्वती चारों वेदों का काल कहा जाता हैं. वैसे वेद प्राचीन काल के ग्रन्थ है जो की ईश्वर कृत है और इसकी सटीक जानकारी ज्ञात नही हो सकता हैं.
Q4. वेदों को किस भाषा में लिखा गया है?
वेदों को सबसे पुरानी भाषा संस्कृत मे लिखा गया हैं. जिसका उपयोग ऋषि मुनि किया करते थे.
Q5. वेदों के रचयिता कौन है?
वेदों के रचयिता “वेदव्यास” है, जिनका पूरा नाम महर्षि कृष्ण व्यास द्वैपायन हैं.
निष्कर्ष
तो हमें खुशी होगी की आपको ये जानकारी वेद का दूसरा नाम क्या है (ved ka dusara naam kya hai) समझ आया होगा. इसे आप अपने मित्रो और छात्रो के साथ जरुर साझा करें. क्योकि यहाँ हम वेद से सभी जानकरी को बताया हैं.
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