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अशोक के शिलालेख की लिपि क्या है – Ashok ke shilalekh ki lipi kya hai

अशोक के शिलालेख की लिपि क्या है – Ashok ke shilalekh ki lipi kya hai

भारत में पाए गए सबसे पुराने ऐतिहासिक शिलालेख अशोक के हैं। जो मुख्य रूप से ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं। लेकिन कुछ शिलालेख खरोष्ठी, अरामी, ग्रीक लिपियों में लिखे गए हैं। उदाहरण के लिए, शाहबाजगढ़ी और मनसेहरा शिलालेख खरोष्ठी लिपि में हैं। कुछ छोटे-छोटे अभिलेखों में अरामी और यूनानी लिपि पाई जाती है, जैसे कि शेयरकुना (कंधार) से प्राप्त अभिलेखों में यूनानी और अरामी लिपि का प्रयोग किया गया है। और अफगानिस्तान के लमगन से प्राप्त “पुलदारुत्त” शिलालेख अरामी भाषा में है।

अशोक के शिलालेख का वर्णन (Ashok ke shilalekh Vyakhya)

Ashok ke shilalekh ki lipi kya hai,
अशोक के शिलालेख की लिपि क्या है – Ashok ke shilalekh ki lipi kya hai

मौर्य वंश के सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए कुल 33 शिलालेख मिले हैं, जिन्हें अशोक ने 269 ईसा पूर्व से 231 ईसा पूर्व तक अपने शासनकाल के दौरान खंभों, शिलाखंडों (चट्टानों) और गुफा की दीवारों में खोदा था। वे आधुनिक बांग्लादेश, भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के स्थानों में पाए जाते हैं और बौद्ध धर्म के अस्तित्व के शुरुआती प्रमाणों में से हैं।

इन अभिलेखों के अनुसार, अशोक के बौद्ध धर्म के प्रसार के प्रयास भूमध्यसागरीय क्षेत्र में सक्रिय थे और सम्राट मिस्र और ग्रीस की राजनीतिक स्थिति से अच्छी तरह परिचित थे। इनमें बौद्ध धर्म की बारीकियों पर कम और मनुष्य को आदर्श जीवन जीने की शिक्षा देने पर अधिक बल दिया गया है। पूर्वी क्षेत्रों में ये आदेश प्राचीन मगधी में ब्राह्मी लिपि का उपयोग कर के लिखे गए थे। पश्चिमी क्षेत्रों के शिलालेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किया जाता था।

एक शिलालेख ग्रीक भाषा का उपयोग करता है, जबकि दूसरा ग्रीक और अरामी में द्विभाषी क्रम दर्ज करता है। इन शिलालेखों में, सम्राट खुद को “प्रियदर्शी” (जिसे प्राकृत में “पियादस्सी”) और देवनमप्रिया (अर्थात् देवताओं को प्रिय, प्राकृत में “देवनम्पिया”) के रूप में संदर्भित करता हैं।

शहनाज गढ़ी और मनसेहरा (पाकिस्तान) के शिलालेख खरोष्ठी लिपि में खुदे हुए हैं। तक्षशिला और लगमन (काबुल) के पास अफगान शिलालेख अरामी और ग्रीक में खुदे हुए हैं। इसके अलावा अशोक के सभी शिलालेख, छोटे पत्थर के स्तंभ शिलालेख और छोटे शिलालेख ब्राह्मी लिपि में उकेरे गए हैं। इन अभिलेखों से हमें अशोक का इतिहास भी मिलता है।

अशोक के अब तक 40 अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं। 1837 में पहली बार जेम्स प्रिंसेप नामक विद्वान अशोक के शिलालेख को पढ़ने में सफल हुए थे।

अशोक के शिलालेख को सर्वप्रथम किसने पढ़ा?

1837 ई. में अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में जेम्स प्रिंसेप को पहली सफलता मिली। जबकि अशोक के अभिलेखों की खोज सबसे पहले 1750 ई. में टिफेन थेलर ने की थी।

FAQs – Ashok Ke Shilalekh

Q1. किस शिलालेख में कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक के हृदय परिवर्तन के बारे में बताया गया है?

शिलालेख संख्या 13 में कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक के हृदय परिवर्तन के बारे में बताया गया है।

Q2. सारनाथ का अशोक स्तंभ जहाँ से भारतीय तिरंगे का अशोक चक्र लिया गया है भारत के किस राज्य में स्थित है?

सारनाथ का अशोक स्तंभ जहाँ से भारतीय तिरंगे का अशोक चक्र लिया गया है भारत के वाराणसी, उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।

Q3. क्या अशोक के सभी अभिलेख कलिंग युद्ध के बाद लिखवाए गए हैं?

हाँ, कलिंग युद्ध के बाद हुई भीषण तबाही को देखकर राजा अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने मानव कल्याण से संबंधित शिलालेख बनवाए।

Q4. शिलालेखों में अशोक को किस नाम से संबोधित किया गया है।

शिलालेखों में अशोक को देवनांप्रिय प्रियदर्शी राजा (अर्थात देवों के प्रिय व सब पर कृपा दृष्टि रखने वाले राजा) के नाम से जाना जाता है.

निष्कर्ष

हम उम्मीद करते है की यह लेख अशोक के शिलालेख की लिपि क्या है (Ashok ke shilalekh ki lipi kya hai) जानकारी अच्छा लगा होगा. हम आपके लिए ऐसे जानकारी लिखते हैं. कृपया अपने दोस्तों के साथ इस पोस्ट को शेयर करे और अधिक जानकारी के लिए hindisoftonic.com क फॉलो करे.

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