पुष्टिमार्ग का जहांज किसे कहा जाता है? (Pushtimarg ka Jahaj Kise Kaha Jata Hai)
सवाल पुष्टि मार्ग का जहाज किसे कहा जाता है? (Pushtimarg ka jahaj kise kaha jata hai) इसका जवाब मिलेगा. पुष्टिमार्ग का जहाज किसे और क्यों कहा जाता है?, पुष्टिमार्ग के दर्शन की स्थापना किसने की और अन्य जानकारी के लिए आगे पढना जरी रखे.
पुष्टिमार्ग का जहाज किसे कहा जाता है?
उत्तर – पुष्टिमार्ग का जहाज कवी सूरदास जी को कहा जाता है.
पुष्टिमार्ग किसे कहते है
भक्ति के क्षेत्र में महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी के मार्ग को पुष्टिमार्ग कहा जाता है. पुष्टिमार्ग के अनुसार सेवा दो प्रकार की होती है- नाम-सेवा और स्वरूप-सेवा. स्वरूप-सेवा भी तीन प्रकार की होती है- तनुजा, विट्टाज और मानसी. मानसी सेवा दो प्रकार की होती है – मर्यादा-मार्ग और पुष्टिमार्ग. जहां मर्यादा-मार्ग मानसी-सेवा पद्धति का पालन करने वाला साधक अपने स्नेह और अहंकार में देरी करता है, वहीं पुष्टि-मार्ग मानसी-सेवा पद्धति से साधक अपने शुद्ध प्रेम से और उनकी कृपा से आसानी से श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाता है. वह जो चाहता है उसे प्राप्त करता है.
पुष्टिमार्ग का जहाज किसे और क्यों कहा जाता है? – Pushtimarg Ka Jahaj Kise Aur Kyon Kaha Jata Hai
कवि सूरदास जी को पुष्टिमार्ग का जहाज कहने का मुख्य कारण यह है कि उन्हें यहां उनके गुरु/आचार्य श्री वल्लभाचार्य जी ने दीक्षा दी थी और उन्हें कृष्ण लीला गाने का आदेश दिया था.
सूरदास जी का जन्म आगरा के पास रूंकटा नामक स्थान पर हुआ था और उनके पिता श्री रामदास जी गायक थे। वह एक गरीब ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। सूरदास जी अष्टचप कवियों में से एक थे.
पुष्टिमार्ग के संस्थापक कौन है
पुष्टिमार्ग की स्थापना 16वीं शताब्दी की शुरुआत में वल्लभाचार्य (1479-1531) ने की थी। और यह कृष्ण पर केंद्रित है.
बेहतर जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि पुष्टिमार्ग के स्थापना दिवस को सभी वैष्णवों में समर्पण दिवस के रूप में मनाया जाता है. पुष्टिमार्ग में श्रावण शुक्ल द्वादशी को गुरु पूर्णिमा की जगह गुरु की पूजा की जाती है.